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Wednesday, December 5, 2012

ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर


ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर
तू पहले ही है पिटा हुआ ऊपर से दिल नाशाद न कर
जो गई ज़मानत जाने दे वह जेल के दिन अब याद न कर
तू रात फोन पर डेढ़ बजे विस्की रम की फरियाद न कर
तेरी लुटिया तो डूब चुकी ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर

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